हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,जब कोई मुश्किल पेश आती है तो हम भूल जाते हैं कि अल्लाह ने हमारी सैकड़ों मुश्किलों को हल किया है, यह भी वैसी ही एक मुश्किल है, (इसकी) क्या अहमियत है (यह भी हल हो जाएगी)। (मासूमीन ने) दुआओं में हमको सिखाया है।
ऐ अल्लाह तूने अपने मुकम्मल नूर के ज़रिए हिदायत की तो सारी तारीफ़ तुझी से मख़सूस है, तूने अपने खुले हाथों से अता किया तो सारी तारीफ़ तुझी से मख़सूस है, ऐ हमारे परवरदिगार तूने अपने बेपनाह हिल्म के ज़रिए हमे माफ़ किया तो सारी तारीफ़ें तेरे ही लिए हैं।
अल्लाह की नेमतों को याद कीजिए जैसे ही एक पत्थर रास्ते में आता है तो हम भूल जाते हैं कि हमारे सामने बड़ी बड़ी चट्टानें थीं जो हट गई अल्लाह ने उन्हें हटा दिया यह भूल जाते हैं और शक में पड़ जाते हैं, सुस्ती का शिकार हो जाते हैं, मायूस हो जाते हैं।
यह सब ख़तरनाक बीमारियां हैं, इन बीमारियों की ओर से चौकन्ना रहना चाहिए।